Business Ideas: मार्केट में जबरदस्त डिमांड रुपए ₹5 किलो में बनता है और ₹15 किलो में बिकता है, जानें आज के लेटेस्ट अपडेट
Business Ideas 2024
हेलो दोस्तों स्वागत है आपका आज की इस आर्टिकल में दोस्तों आज की इस आर्टिकल में हम आपको कुछ Business Ideas के बारे में बताएंगे। इन Business Ideas की सहायता से आप सभी कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं इस Business Ideas को जानने के लिए हमारे सिर्फ आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।
आमतौर पर खेतों का बच्चा हुआ कचरा बेकार माना जाता है जिसे फेंक दिया जाता है या जला दिया जाता है। जिस हवा पर दूषित होती है लेकिन सही तकनीक के साथ इस बेकार को मूल्यवान ईंधन में बदला जा सकता है।
एक नई मशीन है briquetting machine जो खेती के बचे हुए पदार्थ को दबाकर ऊर्जा में भरपूर ईंधन बनती है जिससे कोई ले की जगह इस्तेमाल किया जा सकता है इससे गाँव के उद्योगों को कचरे से कमाई करने का शानदार मौका मिलता है साथ ही पर्यावरण को भी फायदा होता है।
Briquetting Machine कैसे काम करती है ?
यह मशीन एक पेज का इस्तेमाल करके खेती के कचरे को दबाकर उसे गर्व गर्म करती है और एक छेद वाली एट जैसी आकृति में बदल देती है। कचरा मशीन में डाला जाता है जहां एक गर्म करने वाला तत्व ( 600 डिग्री सेल्सियस ) उसे घूमता है और दबाता है। गर्मी के से कचरा में मौजूद लेग्रोसेल्यूलोज नामक पदार्थ चिपकने का काम करता है। मशीन का दबाव कचरे को ईंधन की ईंटों में बदल देता है जो बिना दुआ किया ज्यादा देर तक जलती है।
इस मशीन को चलाने के लिए ज्यादा बिजली की जरूरत नहीं होती है। 30 HP का मोटर ही काफी है। एक व्यक्ति इसे आसानी से चला सकता है। इसके लिए बहुत जगह भी नहीं चाहिए, सिर्फ 30-35 वर्ग फुट की कहानी काफी है। यही कारण है कि छोटे गांव और समुदायों की उद्यमी आसानी से अपनी जगह पर briquetting unit लगा सकते हैं।
ऐसे बनता है कच्चा माल
कचरे को दबाने से पहले उसमें पानी की मात्रा सही होनी चाहिए। 8 से 12% के बीच अगर कचरा ज्यादा गीला हो तो गर्म होने पर बाप निकालकर मशीन खराब हो सकती है। इसीलिए briquetting unit के साथ लगा एक घूमने वाला सुखाने वाला यंत्र (rotary dryer) कचरे को गर्म हवा से सुख देती है।
गोबर जैसा ज्यादा गीला कचरा पाली निकोरने वाली मशीन में आंशिक रूप से सुखाया जाता है। सबसे अच्छे नतीजे के लिए कचरे के टुकड़े तीन से छे मिली मीटर के बीच होनी चाहिए।
मुनाफा कमाने का धंधा
गाँव में धान की भूसी, गने का छत्ता, लकड़ी की धूल या गोबर बहुत कम दाम में या मुक्त में मिल जाते हैं। चलाने को खर्च ही काम है। लगभग ₹3 प्रति किलो, अगर धान की भूसी 2 रुपए की किलो, मिले तो ईंधन की ईंट बनाने में करीब ₹5 प्रति किलो लगते हैं।
अगर आप इसे ₹15 किलो बेचते हैं तो हर किलो पर ₹10 का मुनाफा या 200% का फायदा होता है। एक औसत मशीन जो हर घंटे 300-500 किलो ईंधन बनती है सालाना 50 लाख रुपए से भी ज्यादा का मुनाफा कमा सकती है इससे साफ पता चलता है कि briquetting waste गाँव के लिए मुनाफा का धंधा है।
कचरे से इंधन बनाकर कमाई और पर्यावरण की सफाई
खेतों या जानवरों के कचरे से बनी यह ईंधन की ईंटें कोयले की जगह सीधी फैक्ट्रियों भट्ट हो खाने-पीने की चीज बनाने वाली जगह हो आदि में इस्तेमाल की जाती है। यह कोयले से ज्यादा देर जलता है और ज्यादा गर्मी देता है और सबसे अच्छी बात यह है कि यह दुआ नहीं छोड़ती है।
इससे हवा स्वच्छ रहती है। कोयले की खुदाई कम होती है और जमीन भी सुरक्षित रहती है। किसान अपना ही कचरा इस्तेमाल कर सकते हैं कोयला खरीदने की जरूरत नहीं है। कचरे का सही प्रबंधन करने से गलाने वाले कूड़े से मेथेन गैस कम निकलती है। चुँकी ईंधन बनाने में नई फैसले नहीं लगानी पड़ती इसलिए यह टिकाऊ ईंधन चक्र है।
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